Pendrive क्या है Pendrive का इतिहास और इसका लाभ और हानि क्या है?

Pendrive क्या है ?

दोस्तों Pendrive एक स्टोरेज डिवाइस है इसे फ़्लैश मेमोरी डिवाइस भी कहते हे जिससे आप अपने कम्प्यूटर के स्टोर डाटा को पेनड्राइव में स्टोर कर के भविष्य में कभी स्टोर डाटा को कंप्यूटर में देख सकते हो पेनड्राइव से डाटा को अपने कम्प्यूटर या लैपटॉप में आसानी से डाल सकते है तथा अपने लैपटॉप या कम्प्यूटर में पेनड्राइव को लगाकर डाटा को पेनड्राइव में ले सकते है 

पेनड्राइव एक EEPROM मेमोरी का उदाहरण है कोई भी पेनड्राइव की अपनी कैपेसिटी होती है और एक बात ध्यान देना की पेनड्राइव की कैपेसिटी से ज्यादा डाटा उसमे नहीं ले सकते है पेनड्राइव को युएसबी फ़्लैश ड्राइव को थंबड्राइव , फ़्लैश ड्राइव ,मेमोरी स्टिक , यूएसबी स्टिक ,और BIOS के द्वारा सपोर्टेड है ऑप्टिकल डिस्क ड्राइव और फ्लोपीडिस्क की तुलना में यूएसबी फ़्लैश ड्राइव अधिक डाटा स्टोर कर सकते है और इसे फ़ास्ट स्पीड से ट्रांसफर कर सकते है.

पहले के पेनड्राइव में ज्यादा डाटा स्टोर नहीं कर पाते थे लेकिन जैसे-जैसे नयी-नयी टेक्नोलॉजी आयी तो पेनड्राइव का भी विकाश होता चला गया और पेनड्राइव अधिक डाटा स्टोर करने के लायक बन गए है अब एक पेनड्राइव 120GB से अधिक डाटा स्टोर कर सकते है पेनड्राइव की खासियत है उसमे डाटा को  स्टोर कर के किसी भी जगह लेजाया सकता है यह एक छोटे से प्लास्टिक के टुकड़े के समान दिखाई पड़ता है.

Pendrive का इतिहास ( History of Pendrive ) 

पहली जनरेशन – ट्रैक टेक्नोलोजी और IBM ने व्यापारिक तोर पर 2000 में पहली पेनड्राइव को बेचा गया सिंगापूर ट्रैक टेक्नोलॉजी ने “थंबड्राइव “ नाम का मोडल मार्किट में बेचा और आई बी एम कम्पनी ने उत्पाद “diskonkey “ से पहले ड्राइव का उत्तर अमेरिका में मार्किटिंग की जो इजराइल की कंपनी M-System द्वारा निर्माण किया था आई बी एम को Pendrive 15 Dec 2000 को उपलब्ध हुआ

इसकी कैपेसिटी 8MB थी जो पहले की फ्लॉपी डिस्क की अपेक्षा पांच गुना ज्यादा थी फिर पेनड्राइव का विकास होता चला गया तब एक एडवांस Version मलेसिआ के पुआ khain शेंजन ने सिंगल चिप की Pandrive को बनाई जिसे चीनी अविष्कारक का नाम दिया अधिकांश कम्पनिया पेनड्राइव का उत्पादन करती है वो कम्पनिया ट्रैक और नेटेक के प्रोडक्ट को खराब बताती है.

दूसरी जनरेशन – दूसरी जनरेशन में Pandrive में USB 2.0 का उपयोग लोगो द्वारा होने लगा 2.0 को Highspeed पेनड्राइव के नाम से जानने लगे और इस पेनड्राइव का उपयोग लोगो ने बहुत ज्यादा किया डाटा में जैसे कोई स्पेशल फाइल्स भी होती है उन फाइल्स को पेनड्राइव भी बहुत अछि किस्म की होनी चाहिए नहीं तो फाइल्स हमारी डिलीट हो जाती है पहले पेनड्राइव एमबाईट/sec , एम बिट/sec होती थी अब इनमे कुछ विशेष और अछि स्पीड में 30 MB/sec पर पड़ और लिख सकते है पुराने पेनड्राइव की पूरी स्पीड 12Mbit /s और अधिकतम 1 MB/s तक सीमित ही थी 

पेनड्राइव के मुख्य चार भाग होते हे 

  • टाइप A USB कनेक्टर 
  • USB मॉस स्टोरेज कण्ट्रोल 
  • Nand फ़्लैश मेमोरी चिप 
  • क्रिस्टल ओोसिलेटर      

टाइप A USB – पेनड्राइव का यह भाग एक कंप्यूटर या लैपटॉप से जोड़ता है तभी हम डाटा को ले सकते और कंप्यूटर को दे भी सकते है इस भाग का पेनड्राइव में बहुत मह्त्व होता है.

USB मॉस स्टोरेज कण्ट्रोल – यह भाग पेनड्राइव का कंप्यूटर का डाटा को नियंत्रक करता है इसमें नियंत्रक करने के लिए एक छोटी सी चिप लगी होती है जिसमे रेम और रोम का छोटा मिक्रोकंट्रोलर होता है.

NAND फ़्लैश मेमोरी चिप – यह एक ऐसी चिप है जिसमे डाटा स्टोर होता है पेनड्राइव का यह भाग डिजिटल कैमरा में भी उपयोग होता है.

क्रिस्टल ओसिलेटर- पेनड्राइव का यह भाग सिग्नल को पैदा करता है यह सिग्नल आउटपुट डाटा को नियत्रक करता है.

पेनड्राइव के लाभ (Advantages or Pendrive )

  • पेनड्राइव में जो डाटा होता है उसमे ना तो धूल होती है और न ही खरोच आती है। 
  • पेनड्राइव बहुत ही मजबूत होती है जिसके कारण डाटा को कही भी लेजाया जा सकता है.
  • 2009 में 256 GB की पेनड्राइव आ गयी थी जो DVD और यह तक की ब्लू -रे डिस्क की तुलना में अधिक डाटा स्टोर कर सकते थे। 
  • हाई ड्राइव की अपेक्षा पेनड्राइव में कम ऊर्जा खर्च होती है.
  •  पेनड्राइव में पर्मानेंटली डाटा को स्टोर या होल्ड कर सकते है इसलिए इन्हे सेकेंडरी स्टोरेस डिवाइस भी कहा जाता है.

पेनड्राइव की हानियाँ (Disadvantages of Pandraive )

  • पेनड्राइव से सबसे ज्यादा कंप्यूटर या लैपटॉप में वायरस फैलता है इससे बचने के लिए हमे अपने कंप्यूटर या लैपटॉप में एंटीवायरस डालना चाइये। 
  • पेनड्राइव हार्डडिस्क की तरह ज्यादा डाटा स्टोर नहीं कर सकती है.
  • अधिकांश पेनड्राइव में डाटा संशोधन करने का कोई डिवाइस नहीं होती है पर कुछ पैन ड्राइव के हाउसिंग पर एक स्विच होता है जो पेनड्राइव कको संसोधन करने से कंप्यूटर को रोकता है.
  • पेनड्राइव छोटे आकार छोटा होने के कारण  कही रख कर ढूंढ़ना मुश्किल होता है.
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