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C++ Language क्या है?
यह लैंग्वेज Object Oriented Programming लैंग्वेज है इस लैंग्वेज का उपयोग सॉफ्टवेयर बनाने में करते है इस भाषा का विकास bjarne Stoustrup द्वारा किया गया था C++ ने C लैंग्वेज में कई नए फीचर्स जोड़े हम इस लैंग्वेज से बहुत सारे और तरह तरह के सॉफ्टवेयर बना सकते है जिसे हम अपने कम्प्यूटर्स या लैपटॉप में इनस्टॉल करके हम उस पर काम करते है C++ में मीडियम लेवल लैंग्वेज और हाईलेबल लैंग्वेज का सयोजन होता है C++ लैंग्वेज OOP प्रोग्रमिंग के फीचर्स पर काम करती है.
C++ Language का इतिहास (History of C++ Language)
C++ एक स्थैतिक टाइप सामान्य प्रयोजन प्रोग्रामिंग भाषा है यह एक मध्यस्तरीय भाषा के रूप में हम जानते है क्योंकि यह हाईलेबल और लौ लेबल लैंग्वेज दोनों को मिलाकर बनाई गयी है यह लैंग्वेज सनं
1980 में जोर्ने स्ट्राडस्ट्रप ने विकसित की थी प्रोग्रामिंग की यह विधि ऐसे प्रोग्रामिंग में प्रयोग की जाती थी जो प्रोग्राम पुराने और कठिन होते है जिनका मैनेज करने में कठिनाई होती है फिर C लैंग्वेज को विकसित करने वाले जॉर्न स्टोस्ट्रॉप ने बेल लैबोरेटरीज में 1979 में शुरू किया था इस भाषा का रियल नाम C with Classes था जिसे 1983 में बदलकर C++ कर दिया गया यह एक ऑब्जेक्ट ओरिएन्टेड भाषा है इस बात का ध्यान रखा गया है की C++ का C के साथ मेल जोल बना रहे इस प्रकार C में लिखे गए प्रोग्रामो को परिवर्तन किये बिना C++ में चल सकते है इससे C के जानकारों को ‘C++ में चलाने में कोई प्रोबलम न आने पाये।
C++ की प्रमुख विशेषताए निम्नलिखित है?
- ऑब्जेक्ट – ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग।
- क्लासेज।
- पोलीमोर्फिस्म।
- पोर्टिबिलिटी।
- शार्टफॉर्म C++ में लिखा गया कोड अन्य भाषाओ की तुलना में बहुत छोटा होता है।
- मॉडुलर प्रोग्रामिंग C++ के किसी भी अप्लीकेशन के अंदर छोटे प्रोग्राम हो सकते है जिनके सोर्स कोड को अलग से बदला जाता है इससे टाइम की बचत होती है इसके अलावा किसी दूसरे भाषा में लिखा हुआ प्रोग्राम को बदलकर C++ में मिला सकते है.
- C++ भाषा C के समान है।
- मैसेज सेन्ड कर सकते है।
- डाइनामिक बाइंडिंग।
Rules Of Functions ( फंक्शन्स के नियम )
- फंशन्स को कॉल और डिक्लियर्स करने वाले स्टेटमेंटो को अंत में सेमीकॉलन लगाना अनिवार्य है जबकि फंक्शन की डेफिनेशन में फंक्शन का नाम निर्धारित करने वाली लाइन के अंत में सेमीकॉलन नहीं लगाया जाता है.
- फंक्शन नाम के बाद छोटे कोस्टको को प्रयोग करना अति आवश्यक है चाहे पैरामीटर या आर्कूमेन्ट नहीं हो तो जैसे : clear(); में कोई आर्गुमेंट नहीं है.
- फंक्शन्स या प्रोग्राम जो किसी फंक्शन को कॉल करता है कालिंग फंक्शन कहलाता है जबकि जिस फंक्शन्स को कॉल किया जा रहा है वह कॉल्ड फंक्शन कहलाता है.
- फंक्शन्स यदि int टाइप के मान के अलावा अन्य टाइप (float ,char ,double )का ,मान लौटाता है तो इसकी डेफिनेशन और प्रोटोटाइप में इसके द्वारा लौटाए जाने वाले मन का टाइप व्यक्त करना जरुरी है
जैसे float big (int x,int y );
अतः कोई फंक्शन int टाइप मान लौटाता है तो इसकी डेफिनेशन और प्रोटोटाइप में इसके द्वारा लौटाए जाने वाले मान का टाइप देना अनिवार्य नहीं है अन्य टाइप के लिए अनिवार्य है
- एक फंक्शन एक बार में केवल एक मान लोटा सकता है
- एक प्रोग्राम में एक या एक से अधिक फंक्शन हो सकते है
C++ लैंग्वेज के फायदे (Advantages of :Language C++)
- इस विधि में इनहेरिटेंस के द्वारा फालतू कोड को हटाया जा सकता है और पहले से उपस्थित वर्ग का उपयोग विस्तार से किया जा सकता है।
- पहले से छुपे हुए कांसेप्ट प्रोग्रामर को एक सुरछित प्रोग्राम बनाने में सहायता करता है जिसे कोड के द्वारा प्रोग्राम के दूसरे भागो में उपयोग नहीं कर सकते है।
- ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग से एक प्रोग्राम को जल्दी ही ऑपरेशनल हेतु ऑब्जेक्ट के ग्रुप के आधार पर अनेक भागो में बाँट सकते है।
- इस विधि से छोटे प्रोग्राम को जोड़कर एक बड़े प्रोग्राम को आसानी से तैयार किया जा सकता है.
- ऑब्जेक्ट के बिच बोलचाल के लिए Massage पासिंग विधि से बाहरी सिस्टम के बिच बातचीत करना आसान है।
- इस प्रोग्रामर लैंग्वेज के द्वारा कठिन से कठिन सॉफ्टवेयर को आसानी से चलाया एव हल किया जा सकता है।
- इस लैंग्वेज से सॉफ्टवेयर को विकसित किया जा सकते है.
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