ISDN क्या है और ISDN की विशेषता कौनसी-कौनसी है जाने हिंदी में?

ISDN क्या है?

दोस्तों ISDN का पूरा नाम (Integrated Services Digital Network) है यह एक सर्किट स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क सिस्टम है इसका प्रयोग और डाटा को हम डिजिटल ट्रांसमिशन कर सकते है ट्रांसमिशन का माध्यम साधारण टेलीफोन लाइने होती है जिनमे तांबे या कॉपर के तार होते है इस तकनिकी से हमें अच्छा और हाई स्पीड का डाटा ट्रांसमिशन मिलता है यदि इसे और गहराई से समझे तो कह सकते है की ISDN प्रोटोकॉल का एक सेट है जो सर्किट स्वीच कनेक्शनों को बनाता है और कनेक्शनों को तोड़ता भी है

यदि आप वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे है तो ISDN (Integrated Services Digital Network) आपको टेक्स्ट,आबाज़ , और वीडियो  साथ-साथ उपलब्ध कराता है यह काम आप अपने कंप्यूटर या लैपटॉप से भी से कर सकते है और ग्रुप में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी कर सकते है ISDN (Integrated Services Digital Network) की मुख्य विशेषता यह होती है की यह एक टाइम में एक साथ दो कनेक्शन को हमारे पास पहुंचा सकता है

इन कनेक्शनों में डाटा का कोई भी मिश्रण हो सकता है चाहे वो आवाज हो या टेक्स्ट हो या फिर फेक्स या वीडियो  हम अपने आवश्यकता कार्यो के अनुसार इसमें एक से जयादा डिवाइस भी जोड़ सकते है शायद यही कारण है जिससे लाइन के द्वारा ज्यादातर प्रयोगकर्ताओ की संचार संबंधी जरूरते पूरी हो जाती है और एक से ज्यादा टेलीफ़ोन लाइनों को खरीदने की आवश्य्कता नहीं होती है

यदि आप टेलीफ़ोन लाइनों के द्वारा मॉडेम का प्रयोग करते है तो इसमें जब मॉडेम किसी वेबसाइट से आपको जोड़ता है तो वह डिजिटल सिग्नल को एनालॉग में बदलता है जब वेबसाइट को सिग्नल भेजता है तो एनालॉग सिग्नल को डिजिटल में बदलता है लेकिन ISDN (Integrated Services Digital Network) लाइन में ऐसा नहीं होता है यह सीधे सीधे डिजिटल सिग्नल ही प्रयोग करता है इसमें सिग्नल का कोई भी एनालॉग कन्वर्शन नहीं होता है 

यदि ISDN (Integrated Services Digital Network)  लाइनों की तुलना हम लीज़्ड लाइनों से करे तो यह लीज़्ड लाइनों के मुकाबले में काफी पीछे हे लेकिन यह जिस उद्देश्य से प्रयोग किया जाता है वह उद्देश्य पूरी तरह से पूरा होता है यह यूजर को सम्पूर्ण इंटीग्रेटेड डिजिटल सर्विस हमारे लिए उपलब्ध करता है इसके द्वारा उपलब्ध होने वाली सेवाएं तीन भागो में विभाजित होती है-

  1. Bearer Services 
  2. Supplementary Services
  3. Teleservices

यह हमारे देश में ISDN (Integrated Services Digital Network) लाइनों के प्रयोग की बात तो यह ADSL (Asymmetric Digital Subscriber Line) के आने से पूर्व बहुत प्रयोग किये जाते थे लेकिन ADSL ने अब इसका प्रयोग बहुत कम कर दिया है भारत सरकार का एक संस्थान भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) आज भी देश में ISDN (Integrated Services Digital Network) नेटवर्क पर ISDN BRI (Basic Rate Interface) और PRI (Primary Rate Interface) सर्विस देता है.

ISDN  तकनिकी दो प्रकार की होती है – इस तकनिकी में दो प्रकार के चैनल प्रयोग किया जाता है एक चैनल B और दूसरे चैंनल को D कहते है यह B का अर्थ “Bearer” और D का अर्थ “Delta” होता है B चैनल का प्रयोग डाटा के लिए होता है और D चैनल का प्रयोग सिंग्नल और कन्ट्रोल के किया जाता है (लेकिन इसे भी डेटा के लिए ही प्रयोग करते है

ISDN को तीन तरह से प्रयोग किया जाता है इनमे एक को BRI कहते है BRI का अर्थ है बेसिक रेट इंटरफ़ेस (Basic Rate Interface) इसमें दो B चैनल होते है और प्रत्येक को बैंडविर्थ 64 Kbit/s होती है इसके अलावा इसमें एक D चैनल होता है जिसकी बैंडविर्थ 16 Kbit/s होती है ये चैनल एक साथ मिलकर इन तीन चैनलों को 2B+D के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है.

ISDN के दूसरे प्रयोग को PRI कहते है  यह PRI का अर्थ है प्राइमरी रेट एक्सेस (Primary Rate Interface) इसमें काफी संख्या में B चैनल होते है और एक D चैनल होता है इसकी बैंडविर्थ 64 Kbit/S होती है PRI में B चैनलों की संख्या देश के ऊपर निर्भर रहती है उत्तरी अमेरिका और जापान में B चैनलों की संख्या 23B+1D होती है और इसकी बैंडविर्थ 1.544 Mbit/S होती है इसे T1 भी कहा जाता है यूरोप ,भारत और ऑस्ट्रेलिया में चैनलों की संख्या 30B+1D होती है और इसकी डाटा ट्रांसमिशन करने की गति 2.048 Mbit/s होती है इसे E1 के नाम से जाना जाता है 

ISDN का तीसरा प्रयोग BISDN के रूप में होता है इसका अर्थ ब्रॉडबैंड इंटीग्रेटेड सर्विस डिजिटल नेटवर्क (Broadband Interpreted Service Digital Network) होता है यह एक समय में अलग अलग प्रकार के सेवाएं देने में सक्षम है इसका प्राइमरी प्रयोग नेटवर्क की बैकबोन के रूप में तथा ATM के लिए किया जाता है ISDN में विपोलर 8-0 इनकोडिंग तकनिकी को प्रयोग किया जाता है इसमें कॉल डाटा को B चैनल पर तथा सिग्नल के लिए D चैनल का प्रयोग होता है.

इसमें कॉल सेटअप तथा मैनेजमेंट का कार्य किया जाता है यदि एक बार कॉल सेटअप बन जाता है तो कॉल समाप्त होने तक दोनों पार्टिओ के बिच 64 Kbits/s सिंक्रोनाइज बाई – डायरेक्शनल डाटा चैनल बन जाता है इसमें प्रयोग होने वाले चैनल का प्रयोग X.25 डाटा पैकेटो को भेजने तथा ग्रहण करने के लिए भी किया जाता है यह एनालॉग कनेक्शन के लिए एक मॉडेम की जरुरत होती है वही ISDN कनेक्शन के लिए एक टर्मिनल एडाप्टर(TA) की अवश्यकता होती है एक PC कार्ड के रूप भी उपलब्ध होता है और इसमे S/T इंटरफ़ेस लगा होता है 

ISDN की विशेषता निम्नलिखित है ?

  1. यह एक स्टैण्डर्ड ट्रांसमिशन मिडिया के ग्रुप का निर्माण करता है जो की डाटा को अधिक तेजी से सर्च करता है 
  2. यह हर प्रकार की इन्फो मैनेज कर सकता है जैसे – वौइस् ,वीडियो ,इमेज ,साउंड इत्यादि 
  3. यह सभी डिवाइस एवं टेलीफोन नंबर को एक ही लाइन पर मैनेज कर सकता है इस सर्विस में 8 टेलीफोन , फेक्स मशीन आपस में जोड़ सकते है यह डिजिटल कनेक्शन उपयोग करता है जिससे आने वाला खर्च बहुत काम होता है.
  4. डिजिटल सिग्नल प्रसारण ,टेलीफोन लाइनों को स्थानांतरण करता है.
  5. ISDN (Integrated Services Digital Network) डिजिटल योजना के कारण हाई डाटा स्पीड प्रदान करता है जो 56 kbps है। 

                                                 

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